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पत्रकारिता का दायित्व
अभी समाचार आया कि वीडियो जिसमें ९ फरबरी को JNU में हुए वारदात दिखाया गया है वह सही है और किसी प्रकार की छेड़खानी नहीं की गयी है. इस वीडियो के सम्बन्ध में कुछ नेताओं ने बहुत शोर मचाया था कि ZEETV द्वारा प्रसारित वीडियो में कुछ अलग से क्लिप्स जोड़े गए ताकि विद्यार्थी नेताओं को देशद्रोही करार दिया जाये. साथ ही इलज़ाम यह भी लगाया गया कि इसमें बीजेपी का भी साथ है ताकि प्रजातान्तान्त्रिक अधिकारों का पालन करते हुए सरकार के क़दमो को प्रताड़ना कहने के लिए JNU के छात्रों को बुरे प्रकाश में दिखलाने की इसमें साजिश थी.
पत्रकारों ने चाहे वे छपाई माध्यम से समाचार देने का काम करें या इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से TV से प्रसारण में लगे हों ZEETV द्वारा प्रसारित JNU छात्रों द्वारा बगावत का सन्देश देने वाले वीडियो को सही मानने से इंकार कर दिया. अंग्रेजी माध्यम में प्रोग्राम करने वाले TV केन्द्रों ने तो भारत की केंद्र की बीजेपी सरकार को बदनाम करने में कोई कसर नहीं छोड़ा. अंग्रेजी समाचार पत्रों में असहिष्णुता का राग अलापा जाता रहा और विरोध करने के अधिकार को दमन करने की बात होती रही. हिंदी समाचार पत्रों की जैसे कोई अपनी राय ही नहीं, इन समाचार पत्रों में अंग्रजी के सहयोगी समाचार पत्रों का प्रतिबिम्ब रहता है. हिंदी समाचार पत्रों ने भी सही प्रकार से समाचार और विवाद प्रस्तुत करने में बहुत अयोग्यता का प्रदर्शन किया. यहाँ यह भी निराशा जताना आवश्यक है कि हिंदी समाचार पत्रों में समाचार प्रस्तुत करने और इसके विश्लेषण में अपरिपक्वता का साफ प्रदशन होता है. और यह हमारे समाज के लिए हानिकारक है क्योंकि बहुसंख्यक जनता हिंदी ही पढ़ सकती है और अपेक्षा की जाती है कि समाचार प्रस्तुति में इमानदारी हो और दूध का दूध पानी का पानी अलग किया जा सके.
गंभीर विश्लेषण का हिंदी समाचार पत्रों में अभाव है. मेरी यह धारणा है कि हिंदी समाचार पत्र संपादक अपने दायित्व को समझने में शीघ्र सफल होंगे और सहयोगी अंग्रेजी पत्र से अपनी अलग पहचान बनाएंगे.
प्रजातंत्र की सफलता के लिए यह आवश्यक है कि इसके सारे स्तंभ सबल हों और एक दुसरे के साथ इनका समन्वय हो. याद दिला दें कि प्रजातंत्र के स्तंभ हैं – न्याय, समानता, स्वतंत्रता, प्रतिनिधित्व.
सभी को सामान न्याय मिले, किसी के साथ ऐसा न हो कि न्याय न मिले. देश के सभी नागरिक समान रूप से आगे बढने का अवसर प्राप्त करने के अधिकारी हों. सभी को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता तथा धार्मिक पथ के चयन और उस पर चलने की आज़ादी हो. साथ ही साथ यह भी आवश्यक है कि
शाशन के लिए सभी को प्रतिनिधि चयन का अधिकार हो ताकि प्रतिनिधि हम सबके के अधिकारों की रक्षा करने का काम करें.
पत्रकार की भूमिका है कि नागरिकों को जागरूक रखें ताकि प्रजातंत्र के चारों स्तंभों का काम सुचारू रूप से हो.
मुझे ऐसा लगता है कि अंग्रजी पत्रकारिता अंग्रजों की विचारधारा को ध्यान रखते हुए काम करती है. देश की वास्तविकता को समझना और अपनी संस्कृति, विचारधारा, कार्यप्रणाली को देखते हुए सरकार पर नज़र रखना कि प्रजातंत्र के सभी स्तंभों को सुचारू रूप से चलाया जा रहा है यही हमारे पत्रकारों का दायित्व है. किसी राजनीति से प्रेरित होकर काम करने की अपक्षा हम पत्रकारों से नहीं करते. अगर ध्यान दें तो यह समझने में देर नहीं लगती है कि पत्रकारिता विशेषतः कांग्रेस पार्टी की विचारधारा का समर्थन करती है. इस प्रक्रिया में इस पर ध्यान नहीं जाता कि प्रजातंत्र की नीव अथवा इसके मूल सिधान्तों के अनुसार शाशन चल रहा है या नहीं. ध्यान दिलाते चलें कि प्रजातंत्र के मूल सिद्धांत हैं – सामाजिक समानता, बहुमत से शाशन चलना, अल्पसंख्यकों के अधिकारों का उलंघन न होना, अभिव्यक्ति तथा धार्मिक साथ ही साथ रहन सहन की स्वतंत्रता, ईमानदारी होना शाशन चलाने में और प्रजातंत्र के मूल सिद्धांतों की रक्षा में प्रतिनिधियों की जागरूकता तथा निस्वार्थ ईमानदारी. पत्रकार का दायित्व बनता है कि प्रजातंत्र के इन मूल सिद्धांतों का सही पालन हो इस पर ध्यान लगाए रखना और जहाँ कमी लगे उस ओर जनता और जनता के निर्वाचित प्रतिनिधियों का ध्यान आकर्षित करना.
JNU छात्रों के उपद्रवों का विवरण ईमानदारी से पत्रकारों ने जनता के सामने नहीं रखा. अंग्रजी समाचार पत्रों और TV केन्द्रों ने अपना यह सिद्धांत बना रखा कि केंद्र की सरकार को दोषी ठहराया जाए. इससे यह साबित होता है कि समाचार प्रसारण में ईमानदारी बरतने की जैसे प्रथा ही नहीं है. ZEETV की इस संदर्भ में सराहना होनी चाहिए. इन्होने हमें JNU में होने वाली ज़हरीली घटनाओं से परिचित कराया.
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