Menu
blogid : 23244 postid : 1278465

Secularism and Democracy

National Issues
National Issues
  • 32 Posts
  • 3 Comments

उरी स्थित सीमा सुरक्षा बल के कैम्प पर पाकिस्तान से आए आतंकियों पर जो हमला हुआ जिस्मे हमारे १९ जवानों की जान गई इस हमले से पूरे देश को सबक़ लेने की आवश्यकता है. साथ ही सारे देशवासियों को एक जुट होकर भारत सरकार का साथ देना है चाहे हम सरकारी राजनीतिक दल के हों या ना हों. आम तौर पर यह पाया जाता है कि सरकार किसी भी समस्या के समाधान के लिए कोई क़दम उठाती है तो विपक्ष इसकी सराहना करने के स्थान में सरकार द्वारा लिए गए क़दम को बिना ठोस विचार के ग़लत कह कर सरकार को बदनाम करने की कोशिश करता है. यह सच है कि सरकार चाहे किसी दल विशेष की हो और विपक्ष में जो भी हो राजनीतिक दलों का देश की समस्याओं से कोई ख़ास मतलब नहीं होता है. प्रजातंत्र का सहारा लेकर राजनीतिक दल विचार व्यक्त करने की आज़ादी की बातें करते हैं पर इस सच्चाई पर कोई ध्यान नहीं देता कि भारत के सभी नागरिकों का यह कर्तव्य है कि देश कि समस्याओं के समाधान के लिए अनर्गल बातों का सहारा अभिव्यक्ति की आज़ादी के नाम पर ना लें.
प्रजातंत्र के अंतर्गत हमें अपना सुझाव या अपनी राय देने का अधिकार है पर सरकार के साथ एक जुट हो समस्या का समाधान निकालना हमारा कर्त्तव्य है. यहाँ बात अत्यंत गम्भीर है क्यों कि कश्मीर की समस्या हमारी ख़ुद की बनाई है. इस समस्या को हमारे सर्व प्रथम प्रधान मंत्री की अदूरदर्शिता का परिणाम कहा जा सकता है. हमें इस प्रश्न के समाधान के लिए संयुक्त राष्ट्र जाने की ज़रूरत ही नहीं थी. हमारी सुरक्षा सेना इतनी सबल थी कि पाकिस्तान के हमलावरों तथा उघुसपैठों को पाकिस्तान अधिकृत भाग से बाहर कर देती और सारे कश्मीर को भारत का बना लेती. मुख्य विपक्षी दल कभी इस सत्य की चर्चा नहीं करता. दूसरे दल के किसी राजनेता ने कभी इस सत्य की चर्चा नहीं की. यहाँ इस सत्य पर ज़ोर इसलिए दिया जाता है ताकि हम भारतीय अपनी ग़ुलामी मानसिकता को परखें और अभी भी समय है जब दिशा परिवर्तन हम बिना किसी अप्रजातंत्रिक बल का सहारा लिए अपनी मानसिकता में सुधार तथा निखार लाने में समर्थ हो सकते हैं.
भारत सभी धर्मों का देश है, यहाँ प्रजातंत्रात्मक पद्धति प्रशासन चलाने का है जो धर्म निरपेक्षता पर आधारित है. यहां धर्म निरपेक्षता के बारे में ध्यान देने की ज़रूरत है. भारत में धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों पर जन जीवन का यापन करने का जो संकल्प है इससे धर्म के ठेकेदारों के लिए कोई जगह नहीं है. यहां किसी धर्म विशेष के ठेकेदारों का तात्पर्य नहीं है अपितु इस सत्यता की ओर ध्यान दिलाना है कि सभी धर्म के लोगों को ग़ैर ज़िम्मेदाराना रीति रिवाजों को छोड़ना होगा. पुरुषों और महिलाओं को समान अधिकार देना होगा. वैवाहिक जीवन में समानता का भाव लाना होगा. इस लक्ष्य को हम आज़ादी के बाद नए संविधान के लागू होने पर ही प्राप्त कर लेते यदि कांग्रेस की सरकारें “बाँटो और शासन करो” की नीति का प्रयोग कर भारत को कमज़ोर अवस्था में नहीं रखती. कांग्रेस ने पाकिस्तान निर्माण में सक्रियता का प्रदर्शन किया जो आग में घी डालने का काम किया. इसमें कांग्रेस राजनीतिक दल को सफलता मिली तो अन्य वर्गों को प्रोत्साहन मिला और धर्म तथा जाति के नाम के आधार पर राजनीतिक समूहों का गठन होने लगा.
इसके दुष्परिणामों से लालू यादव, मुलायम सिंह यादव, और ओवैसि जैसे देश विनाशक तत्वों को सक्रिय राजनीति मेंआकर देश की धर्म निरपेक्ष सामाजिक तथा राजनीतिक व्यवस्था को अपने लाभ के लिए निर्बल करने का अवसर मिला. बड़े अफ़सोस के साथ इसका ज़िक्र करना पड़ रहा है कि कांग्रेस पार्टी इसे देखती रही यह सोच कर कि जबतक लोग धर्म और जाति के नाम पर विभाजित रहेंगे कांग्रेस की केंद्र की सत्ता पर आँच नहीं आएगी. देश के अंग्रेज़ी समाचार पत्रों ने कांग्रेस पार्टी के साथ रहने में अपनी भलाई देखी और अंग्रेजी पत्रकार भारत की विशेषता तथा स्थानीय परिस्तिथियों पर ध्यान दिए बग़ैर विदेशी ख़ासकर इंग्लैंड की दृष्टि से भारतीय समाज और सामाजिक व्यवस्था पर टिप्पणी करते रहे.
समय आ गया है कि भारत की जनता इसे समझे, हम जाति तथा धर्म पर आधारित राजनीतिक दलों का बहिष्कार करें और साथ ही अंग्रेज़ी भारतीय पत्रकारों को बढ़ने नहीं दें.

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh