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तीन तलाक़ की अतर्कसंगत प्रथा – मुस्लिम महिलाओं की प्रताड़ना

National Issues
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तीन तलाक़ की प्रथा को मौलवी और मुल्ला का समूह तर्कसंगत समझता है भले ही ऐसा करने से भारत के संविधान की अवहेलना हो. मौलवी एवं मुल्ला समुदाय को इस बात की कोई भी परवाह नहीं की मुस्लिम महिलाओं के इस संदर्भ में क्या विचार हैं और ये महिलाएँ क्या चाहती हैं . ५७०अखिल भारतीय मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड का यह मानना है कि मुस्लिम समुदाय भारत के संविधान से अपने को स्वतंत्र समझता है और इसका डंका पीटने में कोई संकोच नहीं करता है. दुर्भाग्य से अखिल भारतीय मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड को कांग्रेस तथा अन्य पार्टियों जैसे समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का सक्रिय सहयोग मिलता रहा है. इस कारण से अखिल भारतीय पर्सनल ला बोर्ड को बहुत बड़ा नैतिक सहयोग मिलता रहा है और उनकी आवाज़ बुलंद रहती है. इस्लाम के नाम पर पुरुष एवम् महिलाओं के मानवीय अधिकार को अलग समझना और यह कहना कि महिलाएँ पुरुषों के दबाव में रहें इस्लाम के नाम पर काला धब्बा
है. ऐसा इस लिए कहा जाता है क्योंकि यह शरिया नियमों के अंतर्गत है और इस्लाम के रास्ते चलनेवाला शरिया नियमों की अवहेलना नहीं कर सकता क्योंकि शरिया के नियम क़ुरान में उद्धृत हैं. यहाँ मैं इसका उल्लेख करना चाहूँगा कि पैग़म्बर मोहम्मद की मृत्यु ५७० CE
यानी सदी ५७० AD में हुई थी. क़ुरान पैग़म्बर मोहम्मद के कहे हुए उपदेशों पर आधारित है. पुस्तक Chasing Mirage जिसके लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं इस्लाम धर्म पर अपने शोध पर आधारित लिखने वाले श्री तारेक फ़तह हैं के आधार पर यह साफ़ है कि शरिया नियम को संहिताबद्ध ७००-८५० में किया गया. इसका मुख्य कारण ग़ैर इस्लामी पद्धति वंश परम्परा को
इस्लाम के अनुकूल दिखाना था. श्री तारेक फ़तह की पुस्तक के अनुसार शरिया १० श्रोतों पर आधारित है और ये श्रोत हैं – क़ुरान, सुन्नाह, सर्वसम्मति, तर्क, संस्कृति के पुराने नियम और धर्म-शास्त्र, स्थानीय प्रथाएं, व्यक्तिगत विचार, जनहित, स्वाभाविक न्याय, अनुमानित परम्परा पालन.
यह कहना कि तीन तलाक़ ईश्वरीय व्यवस्था है भारी भूल है और परम्परागत पुरुषों की श्रेष्टता को बनाये रखने का यह बहाना है. हमारी मुस्लिम बहनों के अधिकारों का संरक्षण करना होगा और संविधान से मार्ग दर्शन लेना होगा. अखिल भारतीय मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड को वर्तमान में आना होगा और यह समझना होगा कि हमलोग बंजारों की ज़िन्दगी से कहीं आगे निकल चुके हैं.
मुस्लिम महिलाओं की रक्षा और उनकी तरक्की के लिए कटिबद्ध रहना हमारा कर्त्तव्य है.
केंद्र की सरकार से. यह अपेक्षा कर सकते हैं कि सबका साथ सबका विकास पथ पर चलने
वाली सरकार मुस्लिम महिलाओं को साथ लेकर आगे बढ़ेगी. ज़ाहिर है धार्मिक तत्वों को ठेस लगेगी लेकिन अब समय आ चुका है जब इन्हें बदलना होगा. जितनी जल्दी यह समझने को
तय्यार हो जाएँ पूरे मुस्लिम समुदाय के हित में अच्छा होगा. मुस्लिम समुदाय को इसपर गर्व होना चाहिए कि अभी उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ मुख्य मंत्री हैं जो हिन्दु मुसलमान और सभी धर्मों के लोगों को साथ लेकर चलने वाले हैं ऐसे में यह सुनहरा अवसर है कि हम उनका साथ दें और मुस्लिम महिलाओं के कल्याण को हमेशा ध्यान में रखें.
जय हिंद. सबका साथ सबका विकास. भारत माता की जय.

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