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उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में हनुमान गढ़ी जाकर श्री हनुमान दर्शन किया और पूजा अर्चना की. तत्पश्चात श्री योगी आदित्यनाथ ने राम लला का दर्शन किया और धर्मानुसार पूजा अर्चना किया. मंदिर से निकलने के बाद जो योगी आदियनाथ ने कहा वह बहुत ही महत्वपूर्ण है. उन्होंने साफ़ शब्दों में यह बयान दिया कि मंदिर निर्माण की समस्या का हल हिंदू मुस्लिम समुदाय के आपसी सोच विचार के आधार पर निकाला जायेगा. उनके कहने का साफ़ मतलब यह निकलेगा कि सरकारी हस्तक्षेप इस मामले में नहीं किया जायेगा. भाजपा सरकार की धर्म निरपेक्ष नीति का परिचायक और क्या हो सकता है.
जो यह कहते हैं कि भाजपा हिंदू मुस्लिम समुदाय को बाँटता है और इस प्रकार हिंदू वोट बैंक बनाता है उनके मानसिक दिवालियापन पर तरस आना चाहिये. अपने राजनीतिक लाभ के लिए विभिन्न सम्प्रदायों में बैर फैलाना देश द्रोह है हम सभी को एकजुट होकर इस भेद की नीति का बहिष्कार करना चाहिए और इसकी कड़ी भर्त्सना की जानी चाहिए. प्रजातंत्र की सफलता और देश की ख़ुशहाली के लिए यह आवश्यक है की हम जागरूक रहें. यहाँ इस बात का उल्लेख होना आवश्यक है कि धर्म के नाम पर समाज को सम्प्रदायों को अलग करने वाले नेता हिंदुओं में हैं और मुसलमानों के बीच भी हैं. यहाँ इन नेताओं के बारे में कुछ कहने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि बुद्धिमान को सिर्फ़ इशारा चाहिए.
बात बाबरी मस्जिद के सम्बंध में हो रही थी क्योंकि श्री योगी आदित्यनाथ उसी हिंदू धर्मस्थल पर पूजा के लिए गए थे जिसे हिंदू समुदाय राम जन्मभूमि मानता है और उसी मंदिर स्थान पर बाबरी मस्जिद है. यहाँ यह बताना भी ज़रूरी है कि मुग़ल बादशाह बाबर ने मुग़लों के सफल आक्रमण के बाद अयोध्या की धरती पर राम के जन्म स्थान पर मस्जिद का निर्माण करवाया ताकि हिंदुओं के आत्म सम्मान को गहरा धक्का लगे और मुग़लों की क्रूरता से हिंदू समुदाय सर्वदा भयभीत रहे.
गर्व के साथ इस सत्य का उल्लेख किया जाना चाहिए कि अधिकांशतः मुसलमान इस सत्य को समझते हैं कि राम जन्म स्थल पर राम मंदिर ही होना चाहिए. चूँकि विदेशी मुग़लों की बर्बरता के परिणाम स्वरूप उसी स्थान पर मस्जिद भी बना दिया गया और मुसलमान वहाँ नमाज़ पढ़ने लगे इसका यह अर्थ नहीं हुआ कि हिंदुओं को राम जनस्थल पर पूर्णतया सुयोजित ढंग से मंदिर बनाने नहीं दिया जाए साथ ही यह भी होना चाहिए कि मुसलमानों के लिए मस्जिद बने और इसके लिए ज़मीन उत्तर प्रदेश की सरकार दे. इस पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है
कि मस्जिद निर्माण के लिए राशि उत्तर प्रदेश की सरकार दे. यह आवश्यक है कि किसी भी विदेशी मुसलमान देशों से इस मस्जिद के निर्माण के लिए आर्थिक या किसी और प्रकार की
सहायता नहीं लिया जाना चाहिए. क्षेत्र के हिंदुओं से यह अपेक्षा है कि मस्जिद के निर्माण में सक्रिय योगदान करें ताकि हमें धार्मिक एकता पर गर्व हो सके.
इसके साथ ही यह भी अपेक्षा की जाती है कि मुसलमान भाई भी मंदिर के निर्माण में सहयोग दें ताकि राजनीतिक दलों और धर्म गुरुओं के दुशप्रभाव से कलुषित वातावरण में सुधार सभी के
भलाई के लिए हो सके.
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