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केंद्रीय गृह मंत्री श्री राजनाथ सिंह के नाम खुला पत्र – राष्ट्रीय सम्मान खतरे में है

National Issues
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केंद्रीय गृह मंत्री श्री राजनाथ सिंह के नाम इस खुले पत्र में भारत की जनता यह जानना चाहती है कि अब कितने वर्षों तक इंतज़ार करना होगा जब स्थाई समाधान कश्मीर सम्बंधित समस्या का हो जाएगा और प्रति दिन जो सीमा का
उल्लंघन होता है उसपर रोक लगेगा. साथ ही जो पत्थर बाज़ी प्रतिदिन होती है वह बंद होगा. यह सब हंगामा जब बंद होगा तभी कश्मीर में शान्ति होगी, कश्मीर निवासी सामान्य जीवन बिताने लगेंगे. साथ ही भारत भी चैन की नींद सो सकेगा.
भारत को आज़ादी मिलने के साथ ही देश का विभाजन हुआ और लगभग तभी से कश्मीर हमारे लिए एक ज़बरदस्त समस्या का श्रोत है. पाकिस्तान से बातचीत नहीं हो सकती. हमारी पिछली सरकारें पाकिस्तान से बातचीत के ज़रिये कश्मीर समस्या के समाधान को प्राथमिकता देती रही हैं. पाकिस्तान से बातचीत करने की योजना बचकाना हैं. भारत की जनता अब हिसाब मांगती हैं वर्त्तमान सरकार से और पूछ रही हैं कि कब तक अपनी कमज़ोरी को भारत सरकार छिपाती रहेगी. अगर हम इसका समाधान जल्द ही कर सकते हैं जैसा आश्वासन श्रीमान गृह मंत्री आपने दिया हैं तब हम आपके इस आश्वासन के आधार पर थोड़ी शान्ति के साथ रह सकते हैं और आपकी, भारतीय सेना की और साथ ही साथ भारत की कूटनीति की सफलता की कामना करते हैं.
श्रीमान गृह मंत्री आप से यह बात छुपी नहीं है कि कश्मीर की जनता राज्य में शान्ति चाहती है ताकि उनका जीवन सामान्य हो और कश्मीर के लोग अपना व्यवसाय कर सकें, युवा स्कूल कालेज जा सकें और लोग खुले ढंग से जीवन यापन कर सकें.
मैं यहाँ आपको आंकड़ा नहीं दूंगा कि जबसे कश्मीर का मुद्दा शुरू हुआ कितने लोग घायल हुए या khan has Mahayana जान खोये साथ ही हिन्दू मुस्लिम का भेद भाव भी कश्मीर में चलता रहा है. ज़रा सोचें कितना आर्थिक नुक्सान कश्मीर को हुआ है और भारत को कितनी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. हमारी सेना, कश्मीर पुलिस और सीमा सुरक्षा बलों को हर दिन जानलेवा घुसपैठिओं तथा आतंकियों का सामना करना पड़ता है. क्या यह अच्छा नहीं होगा हम इसका फैसला स्थाई रूप से कर लें. रोज़ की परिशानियों से कुछ दिनों की परिशानियों को झेलना बेहतर है.
श्नेताओं री गृह मंत्री जी कब तक जान माल हम खोते रहेंगे. यह कहने से काम नहीं चलेगा कि अँगरेज़ ऐसी परिशानियाँ छोड़ गए हैं और निकम्मी कांग्रेसी सरकार दूसरों को पुचकारने में लगी रही और शाशन करती रही. भारत की जनता यह भी नहीं जानना चाहती है कि आपके पास क्या रास्ता है. यह सूचना सार्वजनिक होने से दुश्मनों को इसकी जानकारी हो जायेगी.
लेकिन मैं समझ नहीँ पाता हूँ कि अलगाववादी नेताओं का ख़र्च का साधन कहाँ से आता है और उस साधन को अभी तक रोका क्यों नहीँ गया है. आवश्यकता है पूरे भारत को जागरूक करने की और आपसी संपर्क पर कड़ा रुख अपनाने की. अगर आप इसकी आशा करते हैं कि पत्रकार आपकी मदद को जागरूकता फ़ैलाने में मदद करें तो भारतीय चापलूस पत्रकारों से आप को किसी प्रकार कि उम्मीद नहीँ करना चाहिए चाहे हिंदी, अंग्रेजी या टीवी पत्रकारिता या किसी और भाषा कि पत्रकारिता के संदर्भा में बात हो. क्रिकेट के खिलाडियों का हाल देखिये. खेल मंत्री श्री
गोयल के बयान के बाद भी भारत और पाकिस्तान में खेल हुआ. इसका सही माने में बहिष्कार सिर्फ ज़ी टीवी ने किया. पूछे जाने पर क्या यह खेल होना ज़रूरी था विराट कोहली ने इसकी हामी भरी. अब देखना यह है कि भारत की जनता ऐसे क्रिकेटरों का पूर्णतया बहिष्कार कैसे करती है?
इस तरह से आप पाएंगे कि कई ऐसे तत्त्व भारतीय समाज में हैं जो आपको कमज़ोर कर सकते हैं
पर अधिकांश जन समुदाय आपके साथ हैं और आप कश्मीर मसले का स्थाई हल निकालें.

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